लाइव रिपोर्ट: बेडशीट के सहारे भागे, गांव में छिपे और 9 घंटे में मारे गए
सरपंच को धमकी देने के बाद आतंकी अचारपुरा पहाड़ पर चढ़ गए और खेजड़ा की तरफ जाने लगे। इतने में कई गांव वाले लाठी-डंडे लेकर आ गए और गांव वालों ने आतंकियों को चुनौती दी।
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी के सभी 8 आतंकी एसटीएफ और पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में ढेर कर दिए गए।
ये आतंकी रविवार की अल सुबह करीब 3 बजे भोपाल की अति सुरक्षित सेंट्रल जेल से एक जेल आरक्षक की हत्या कर भागे थे, पर 10 घंटे बाद ही गांव वालों की जागरुकता और एसटीएफ व पुलिस की सक्रियता के चलते इन्हें एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। आखिर इन आतंकियों का एनकाउंटर कैसे हुआ? कैसे पुलिस को इनकी सूचना मिली? इसकी पूरी डिटेल पढि़ए आप इस खबर में…
पहले जेल से भागे आतंकी
रविवार रात करीब 3 बजे आतंकियों ने पहले जेल के आरक्षक रमाशंकर यादव की हत्या कर दी थी। उनका गला रेत दिया था। हमले के लिए स्टील की प्लेट और ग्लास का इस्तेमाल किया था। इसके बाद जेल में ओढने के लिए मिली चादर की रस्सी बनाई। उसी के सहारे दीवार फांदी। बताया जा रहा है कि इसमें से कुछ आतंकी वे भी हैं जो 2013 में खंडवा जेल से भागे थे। उन्हें पकड़ कर यहां लाया गया था।
सरपंच ने दी पुलिस को सूचना
अचारपुरा गांव के रहने वाले सरपंच सुरेश मीणा को सुबह 6 बजे इलाके के टीआई ने 8 आतंकियों के जेल से भागने की सूचना दी थी। सरपंच सुरेश के मुताबिक सूचना मिलते ही उन्होंने गांव वालों को बताया। फिर एक साथी को लेकर वे बाइक से गांव से निकल गए। अचारपुरा पहाड़ के एक ओर मनीखेड़ी लगता है, जबकि दूसरी ओर खेजड़ा।
मनीखेड़ी के पास एक खेत में एक किसान माखन मीना दिखा, जिसने सरपंच को बताया कि 8 लोग यहां से गुजरे हैं और उनकी भाषा समझ नहीं आ रही थी। इसके बाद सरपंच ने अचारपुरा पहाड़ की तरफ बाइक दौड़ाई। तभी झाडिय़ों से एक आतंकी बाहर आया। तब सरपंच ने उससे पूछा कि आप कौन हैं और यहां क्या कर रहे हैं?
इस पर आतंकी ने जो जवाब दिया, वो सरपंच को समझ में नहीं आया। थोड़ी ही देर में झाडिय़ों से एक के बाद एक तीन लोग बाहर आ गए और उन्होंने सरपंच को धमकाया। सरपंच थोड़ी देर शांत हुए और उन्होंने अपने साथी को गांव वालों को लाने को भेज दिया।
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(एनकाउंटर के बाद मौके पर पुलिस बल)
(जेल में बर्तन काटकर ये हथियार बनाए थे आतंकियों ने)
(जेल में कैदियों को मिलने वाले चादर से आतंकियों ने ये रस्सी बनायी थे)
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(हरी टी शर्ट में माखन मीना, जिन्होंने सबसे पहले आतंकियों को देखा था और इसकी सूचना सरपंच को दी थी)
(सरपंच की सूचना पर सबसे पहले मौके पर पहुँचने वाले चार्ली १-१ के हवलदार राम सेवक, इन्होने ही आतंकियों को सबसे पहले सरेंडर करने को कहा था)
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(आतंकियों से भिड़ने के लिए गाँव वाले बन्दूक लेकर मौके पर पहुंचे थे)
फिर गांव वालों ने बनाया घेरा
सरपंच को धमकी देने के बाद आतंकी अचारपुरा पहाड़ पर चढ़ गए और खेजड़ा की तरफ जाने लगे। इतने में कई गांव वाले लाठी-डंडे लेकर आ गए और गांव वालों ने आतंकियों को चुनौती दी, जिसके बाद आतंकियों ने पहाड़ से इन पर पत्थर फेंकना शुरू किए। जब तक गांव वाले ललकाते, सरपंच ने पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने एसटीएफ को अलर्ट दिया, जिसके करीब 35 मिनट बाद पुलिस का अमला और एसटीएफ के जवाब मौके पर पहुंच गए। तीन आतंकी पहाड़ पर मनीखेड़ी की तरफ थे, जबकि पांच पहाड़ से आधा किमी दूर खेजड़ा की तरफ निकल चुके थे। एसटीएफ और पुलिस ने घेरा बनाया और गांव वालों की मदद से आतंकियों को चुनौती दी। सरपंच सुरेश मीणा ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने आतंकियों पर फायरिंग की। आतंकी भी फायरिंग कर रहे थे। इसके बाद एसटीएफ जवानों ने इन्हें ढेर कर दिया।
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बड़ा सवाल: जेल से भागने पर किसने मदद की?
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि जब ये आतंकी जेल से भागे थे तो जेल के कपड़े पहने थे, पर एनकाउंटर के वक्त इनके शरीर पर जींस, टी-शर्ट, शर्ट, हाथ में घड़ी और पैरों में महंगे जूते थे। आखिर ये कपड़े इन आतंकियों के पास कैसे आए? किसने उनकी मदद की?